Wednesday 10 July 2019

इंद्र का सिंहासन डोला, 33 में से 23 कोटि देवता 'शाह'प्पा के संपर्क में।

Devraj Indra


पार्वत्य प्रदेश के निवासी वृहदाकार देवराज इंद्र की धड़कनें तब तेज हो गयीं जब उन्हें कुल 33 में से 23 कोटि देवताओं की आर्यावर्त की राजधानी इंद्रप्रस्थ में दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर एक छोटे से कार्यालय में होने की सूचना मिली। ऐरावत हाथी जिसकी सवारी हो, जो दैत्यों का संहारक हो, देवताओं का राजा हो, ऐसे इंद्र की सभा से नदारद देवताओं को देख तीनों लोकों में हाहाकार मच गया।

इंद्र ने तत्काल बचे हुए मंत्रियों और देवताओं को इंद्रलोक तलब कर एक आपातकाल बैठक बुलायी। महादेव के प्रथम पुत्र एवं देवलोक के सेनापति कार्तिकेय भी सभा में पहुंचे। इंद्र की आज्ञा पाते ही बैठक में विशेष तौर पर बुलाये गए गन्धर्वराज चित्रसेन ने पूरे मसले को देवलोक के सभी सभासदों के समक्ष बड़ी विनम्रता से रखा।

देवराज! सौराष्ट्र के पश्चिमी तट जहाँ कभी श्री कृष्ण राज किया करते थे वहां चालुक्य, सोलंकी आदि के बाद 'नरेंद्र बाहुबली' नामक एक इंसान ने 13 वर्षों तक राज किया। अपनी मेहनत, लगन और चतुराई के साथ साथ अपने हठी सेनापति शाहप्पा की 'साम-दाम-दंड-भेद' नीतियों की वजह से उन्होंने जल्दी ही समूचे भारतवर्ष पर अपनी पकड़ बना ली। संगठन पर अपनी मजबूत पकड़ और वाकचातुर्यता में निपुण नरेंद्र बाहुबली ने 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे में अब देवताओं को भी शामिल कर लिया है।

अपने ताज़ा भाषण में उन्होंने कहा कि 'देवियों और देवताओं, देवराज इंद्र ने जो काम पांच लाख साल में नहीं किया वो हम पांच साल में कर के दिखाएंगे। चाहे कैलाश-देवलोक-बैकुंठ 16 लेन एयर-वे परियोजना से तीनों लोकों को जोड़ना हो, या देवताओं को 'स्किल डेवलपमेंट' योजना से जोड़ असुरों से युद्ध करने के लिए इज़राइल नामक राज्य से विशेष ट्रेनिंग का प्रस्ताव हो..देवताओं के एक बड़े समूह को उनकी बातें खूब रास आ रही हैं। और तो और देवलोक में उनकी सरकार बनने पर अप्सराओं के नृत्य और सोमरस पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। दीनदयाल मार्ग पर बागी देवताओं के साथ उनके कार्यालय में हुई मैराथन बैठक के दौरान उनके सेनापति शाह'प्पा ने नारा भी दिया है 'बहुत हुआ इंद्रदेव का अत्याचार, अबकी बार नरेंद्र सरकार'।

चित्रसेन की बातें सुन कर इंद्रदेव चिंतित हो उठे और तत्काल महादेव से मिलने का समय माँगा। उधर देवलोक-live चैनल के संपादक नारद मुनि की अगुवाई में मीडिया भी इंद्र की सत्ता पर मंडराते हुए संकट के बादल पर लगातार विशेष कवरेज कर रहा था।

नमस्कार मैं हूँ नारद मुनि और आप देख रहे हैं देवलोक लाइव! अभी अभी मिली ताजा जानकारी के मुताबिक़ एक तरफ जहाँ नरेंद्र बाहुबली के सेनापति शाहप्पा सभी बागी देवताओं का समर्थन पत्र लेकर कभी भी देवलोक में सरकार बनाने के दावे के साथ ब्रह्मा जी से मिलने देवलोक पहुँच सकते हैं, वहीँ इंद्रदेव को एक और झटका लगा है। चित्रगुप्त समेत यमराज ने दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित पार्टी मुख्यालय पहुँच नरेंद्र बाहुबली की पार्टी की प्रारंभिक सदस्यता ले ली है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नड्डेश्वर महाराज ने उन्हें एक प्रेस वार्ता के दौरान पार्टी की सदस्यता दिलवायी। देवलोक लाइव ने ये खबर सबसे पहले आपतक पहुंचायी थी कि यमराज का भैंसा पार्टी कार्यालय के बाहर मौजूद है।

यमराज के प्रतिनिधि चित्रगुप्त ने कहा कि "बदलते समय और बढ़ती आबादी के बीच अब जीवन-मृत्यु, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क का हिसाब किताब कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा है। हमनें लगातार इस समस्या से इंद्रदेव को अवगत कराया पर वो भोग-विलास में व्यस्त रहे और हमारी समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया। शाहप्पा भाई ने हमें 'आईटी सेल सपोर्ट' का प्रस्ताव दिया है और 'डिजिटल देवलोक' योजना के तहत सभी के पाप और पुण्य के हिसाब को आधार से लिंक कर कंप्यूटर से जोड़ने का वादा किया है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, और अगर देवलोक में उनकी सरकार बनती है तो हमारा नरेंद्र बाहुबली को पूरा समर्थन है।

माफ़ कीजियेगा हमें इस प्रेसवार्ता को यहीं रोकना पड़ रहा है, सीधे लिए चलते हैं आपको ब्रह्मलोक के द्वार पर जहाँ शाहप्पा देवलोक को सीधा सम्बोधित कर रहे हैं।

"देवियों और देवताओं, देवराज के पाप का घड़ा अब भर चुका है, हम आपको ये विश्वास दिलाने आये हैं कि नरेंद्र भाई बाहुबली के नेतृत्व में हम दो-तिहाई बहुमत के साथ देवलोक में सरकार बनाने जा रहे हैं और मुझे भरोसा है कि त्रिदेवों का भी आशीर्वाद इस कार्य में हमें मिलेगा। मैंने ब्रह्मा जी से सिर्फ शिष्टाचार भेंट की है, समर्थन पत्र आदि सौंपने की बात पूरी तरह से देवलोक-लाइव चैनल का फैलाया हुआ प्रोपगैंडा है। आगे जो भी होता है वो आप सभी के सामने जल्द ही आ जाएगा।

उधर कैलाश पहुँचते ही इंद्रदेव सीधा महादेव के आगे भरे हुए गले से बोले "महादेव, मैंने पांच लाख साल, सच्ची श्रद्धा और देवसेवा को लक्ष्य बनाकर राज किया है, देवलोक पर कोई नज़र उठा कर भी ना देख सके ऐसी सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की है। मेरे पुत्र वसुक्त तथा वृषा ऋषि जीवन व्यतीत कर रहे हैं और कभी राजनीति में नहीं आये। फिर नरेंद्र बाहुबली और शाहप्पा को देवताओं ने समर्थन क्यों दिया? आप सभी भी मौन होते सब देखते रहे। क्यों महादेव क्यों?

महादेव देवराज इंद्र की बातों को सुन कर मुस्कुराये और बोले "आपने कहा कि आपने देवलोक में प्रजा के हित का पूरा ख्याल रखा, पर सभी खुश हैं ये जानकारी आपको किसने दी? अगर नाराज़ हैं तो क्यों नाराज़ हैं ये जानने के लिए क्या किया? देवराज चाटुकार राजा के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं ये सदैव ध्यान में रखें। चाटुकार राजा को सदैव सच्चाई से दूर रखता है। चाटुकारों से मिली आत्ममुग्धता ने लोगों की समस्याओं से आपको कभी अवगत नहीं कराया गया, और इसी प्रकार आपकी दूरी उनसे बढ़ती गयी।  इस समस्या का समाधान सामने है, बस आप देखना नहीं चाह रहे।

इंद्र उत्सुकतावस बोले "कैसा समाधान प्रभु?"

तभी इंद्र की आँखें खुली, वो देवलोक में अपने शयनकक्ष में थे, पसीने से लथपथ, सब कुछ सामान्य था, सभा से संगीत की ध्वनि उनके शयनकक्ष तक आ रही थी। कुछ नहीं बदला था, देवलोक में इंद्र की सरकार पूरी तरह सुरक्षित थी।

पर स्वप्न में ही सही, इंद्र महादेव की कही बातों को समझ गए थे। अपनी विफलताओं का ठीकरा किसी और के सिर पर नहीं फोड़ा जा सकता है, जनसमस्याओं का निराकरण आरोप-प्रतिरोप से नहीं हो सकता। जनता के बीच जाए बिना उनकी समस्याओं को नहीं समझा जा सकता। अपने से दूर हुए लोगों को वापिस लाने के लिए उनके बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझना जरूरी।

इंद्र का सिंहासन डोला, 33 में से 23 कोटि देवता 'शाह'प्पा के संपर्क में।

पार्वत्य प्रदेश के निवासी वृहदाकार देवराज इंद्र की धड़कनें तब तेज हो गयीं जब उन्हें कुल 33 में से 23 कोटि देवताओं की आर्यावर्त की...